सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

अज्ञानता का बोलबाला

जब से मनुष्य इस पृथ्वी पर अवतरित हुआ है सत्ता को भोगने के लिए अपने मस्तिष्क का प्रयोग करता आया है। पृथ्वी पर जीवन के अभ्युदय के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के मत प्रचलित हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित तथा मान्य मत १००% अज्ञानियों द्वारा प्रतिपादित हैं और ये हैं कथित धर्मो द्वारा सिद्धांत। आज विश्व के ७०-८० % लोग विभिन्न धर्मों द्वारा प्रचारित मतों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वीकार करते हैं । सभी धर्म अपने को सही तथा दूसरे को ग़लत ठहराते हैं । कोई भी धर्म अपनी गलती को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। जबसे ही मानव चेतना विकसित हुई है, मानव अपने समान दो हाँथ-पैर के लोगों की सर्वोच्चता स्वीकार नहीं करते हैं। मनुष्य की इसी प्रवृत्तियों का लाभ उठाकर कुछ बुद्धिमान लोगों ने अपने हित में तो कुछ लोगों ने समाज के हित में इसका उपयोग किया। इसी मानवीय प्रवृत्ति से भगवान, भूत, प्रेत, देवी , देवताओं आदि का उद्भव हुआ है। बुद्धिमान लोगो के पहले वर्ग ने इन अदृश्य शक्तियों का सहारा लेकर आम लोगों को अपने हित में उपयोग करते रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्याहमेसा से ही ज्यादा रही है....... अगले अंक में जारी....